जाने कहां गये ओ दिन
चुपके-चुपके एक-दूसरे को देखा करते थे
जाने कहां गये ओ दिन
आँखों-ही-आँखों में देखा करते थे
जाने कहां गये ओ दिन
एक-दूसरे सो चुपके बातें करते थे
जाने कहां गये ओ दिन
एक-दसरे से झगड़ा करते थे
जाने कहां गये ओ दिन
एक-दूसरे के हाथों-में-हाथ डालकर बैठा करते थे
जाने कहां गये ओ दिन
यहां-वहां की बातें किया करते थे
जाने कहां गये ओ दिन•••••••
जाने कहां गये ओ दिन••••••••
( शिवानंद सरवदे )
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