जब थे पाठशाला में
आते थे विचार
कभी पोलिस बनेंगे
तो कभी वकिल बनेंगे
जब पड़ते थे मार
तब याद आती थी घर
कभी लगता था छोड़ेंगे
तो कभी लगता जाएंगे
उसमें कभी लगता था,
हम हमारे देश के लिए लढ़ेंगे
लढ़ते-लढ़ते भगतसिंग बनेंगे
भगतसिंग बनकर आगे बढ़ेंगे
उसने सिखाया हमें जीना-मरना
उसने सिखाया दीन-दलितों की सेवा करना
मुसीबतों से कैसे लढ़ना
जीवन में आगे कैसे बढ़ना
( शिवानंद सरवदे )
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