एक आदमी



एक था आदमी
वह करता बच्चों से प्यार
वह करता इसलिए,
क्योंकि उसे नहीं थे माँ-पिताजी
वह जिंदगी भर रोता रहा

न मिला उसे किसी का सहारा
न पा सका माँ-पिताजी का प्यार
इसलिए वह कर न सका प्यार
वह अपनी कमाई देता रहा दिन-दलितों को

ऐसा आदमी बना एक महापुरुष
उसे मिली स्वर्ग की द्वार
वह जा बैठा भगवान की स्थान पर

( शिवानंद सरवदे )


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